वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

 हज़रत मौलाना याक़ूब चर्ख़ी

 

रहमतुह अल्लाह अलैहि

आप की विलादत गज़नी के चर्ख़ नामी गांव में ७६२ हिज्री में हुई। आप के वालिद हज़रत ख़्वाजा उसमान बिन महमूद रहमतुह अल्लाह अलैहि एक बलंद पाया आलम और सूफ़ी थे।हज़रत याक़ूब चर्ख़ी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने जामिआ हिरात और देर मिस्र में तालीम हासिल की। आप मौलाना शहाब उद्दीन सैर अम्मी रहमतुह अल्लाह अलैहि के शागिर्द थे जो अपने ज़माने के मशहूर आलिम थे।आप को फ़तवा की इजाज़त उलमाए बुख़ारा ने दी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

हज़रत ख़्वाजा बहा-उद-दीन नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर होने से पहले आप को उन से बड़ी मुहब्बत और अक़ीदत थी। जब आप इजाज़त फ़तवा हासिल करके बुख़ारा से वापिस चर्ख़ जाने लगे तो एक दिन हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर होईआवर निहायत आजिज़ी और इनकिसारी केसाथ अर्ज़ क्या मेरी तरफ़ तवज्जा फ़रमाएं। हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया क्या उस वक़्त जबकि तुम सफ़रकी हालत में हो? आप ने अर्ज़ क्या में आप की ख़िदमत में रहना चाहता हूँ। हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया कि क्यों? आप ने अर्ज़ क्या इस लिए कि आप बुज़ुर्ग हैं और लोगों में मक़बूल हैं। हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया कोई अच्छी दलील ?मुम्किन है कि ये क़ौल शैतानी हो। आप ने बड़े एहतिराम से कहा कि हदीस शरीफ़ में आया है कि जिस वक़्त अल्लाह ताला बंदे को अपना दोस्त बनाता है उस की मुहब्बत अपने बंदों के दिलों में डाल देता है। इस के बाद हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने तबस्सुम फ़रमाते हुए कहा ।माअज़ीज़ानेम।

इस के बाद आप ने हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि से इलतिमास की कि मेरी तरफ़ भी तवज्जा फ़रमाएं। हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया एक शख़्स ने हज़रत अज़ीज़ां रहमतुह अल्लाह अलैहि से तवज्जा तलब की तो उन्हों ने फ़रमाया कि ग़ैर तो जा में नहीं रहता कोई चीज़ हमारे पास रखू ताकि जब में उसे देखूं तो तुम याद आ जाओ।

फिर हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने आप से फ़रमाया कि तुम्हारे पास तो ऐसी कोई चीज़ नहीं कि हमारे पास रख जाओ। लिहाज़ा हमारा कुलाह साथ ले जाओ जब उसे देख कर हमें याद करो गे तो हमें पाओ गे और उस की बरकत तुम्हारे ख़ानदान में रहे गी। फिर फ़रमाया इस सफ़र में मौलाना ताज उद्दीन दश्ती को लक्की रहमतुह अल्लाह अलैहि से ज़रूर मिलना क्योंकि वो वली अल्लाह हैं। फिर आप ने हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि से इजाज़त ली और बुख़ारा से बलख़ की तरफ़ चल पड़े।

बलख़ से आप कौलिक की तरफ़ रवाना हुए। यहां आप ने बहुत तलाश के बाद हज़रत मौलाना ताज उद्दीन दश्ती रहमतुह अल्लाह अलैहि को पालिया। इस मुलाक़ात में हज़रत दश्ती रहमतुह अल्लाह अलैहि का जो राबिता मुहब्बत हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि से था इस ने आप के दिल पर इस क़दर असर किया कि आप दुबारा बुख़ारा की तरफ़ चल पड़े और इरादा किया कि हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि के दस्त मुबारक पर बैअत करेंगे।

ख़्वाजा याक़ूब चर्ख़ी रहमतुह अल्लाह अलैहि फ़रमाते हैं कि जब में इस इरादे से बुख़ारा की तरफ़ जा रहा था तो रास्ते में मुझे एक मजज़ूब मिला तो मैंने उन से पूछा क्या में हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में जाऊं तो इस मजज़ूब ने कहा जल्दी जाओ। इस केबाद मजज़ूब ने अपने सामने ज़मीन पर बहुत सी लकीरें खींची। में ने दिल में ख़्याल किया कि अगर ये लकीरें मुफ़रद हुईं तो मेरा मतलब-ओ- मक़सद हल होजाएगा। जब ग़नी तो मुफ़रद ही निकलें।

इस वाक़िया के बाद आप का इश्तियाक़ और बढ़ा और शाम के वक़्त फ़तह आबाद में जो उस फ़क़ीर का मस्कन था शेख़ आलम सैफ उद्दीन-ओ-ख़रज़ी रहमतुह अल्लाह अलैहि के मज़ार की तरफ़ मुतवज्जा होकर बैठे थे कि आप के दिल में बातिनी बेकरारी पैदा हुई और आप उसी वक़्त हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि से मिलने क़सर आरफ़ां की तरफ़ चल पड़े। जब आप क़सर आरफ़ां पहुंचे तो हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि पहले ही आप के मुंतज़िर थे और नमाज़ मगर ब के बाद सोहबत का शरफ़ बख्शा। फिर आप ने दरख़ास्त की कि आप अज़ राह करम मुझे अपने हलक़ा इरादत में शामिल करलीं । जिस पर हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने हदीस शरीफ़ पढ़ी जिसका तर्जुमा ये है:

इलम दो हैं। एक क़लब का इलम जो नफ़ा बख़श है और ये नबियों और रसूलों काअलम है। दूसरा ज़बान का इलम और ये बनी आदम पर हुज्जत है।

इस के बाद फ़रमाया कि उम्मीद है कि इलम बातिन से तुम्हें हिस्सा मिले गा इस केबाद फिर हदीस पढ़ी जिस का तर्जुमा ये है:

जब तुम अहल सिदक़ दिल की सोहबत में बैठो तो उन केपास सिदक़ से बैठो क्योंकि वो दिलों के भेद जानते हैं ,वो तुम्हारे दिलों में दाख़िल हो जाते हैं और तुम्हारे इरादे और नीयतों को देख लेते हैं।

इस के बाद फ़रमाया हम मामूर हैं हम ख़ुद किसी कोक़बूल नहीं करते। आज रात देखें गयिका किया इशारा होता है, उसी पर ही अमल किया जाएगा।

हज़रत याक़ूब चर्ख़ी फ़रमाते हैं कि ये रात मुझ पर बड़ी भारी थी। मुझे ये ग़म खाए जा रहा था कि शायद हज़रत ख़्वाजा रहमतुह अल्लाह अलैहि मुझे क़बूल ना करें। अगले रोज़ हज़रत याक़ूब चर्ख़ी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़ज्र की नमाज़ हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि केसाथ अदा की। नमाज़ के बाद हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने आप को मुख़ातब कर के फ़रमाया मुबारक हो क़बूलीयत का इशारा हुआ है। फिर अपने मशाइख़ का सिलसिला हज़रत ख़्वाजा अबदुलख़ालिक़ ग़जदवानी रहमतुह अल्लाह अलैहि तक बयान किया और आप को वकूएफ़ अददी में मशग़ूल किया और फ़रमाया ये इलम अलदनी का पहला सबक़ है जो हज़रत ख़्वाजा ख़िज़र अलैहि अस्सलाम ने हमारे बुज़ुर्ग हज़रत ख़्वाजा अबदुलख़ालिक़ ग़जदवानी रहमतुह अल्लाह अलैहि को पढ़ाया था।

शरफ़ बैअत हासिल करने के बाद आप एक अर्सा तक ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में रहे। इस दौरान हज़रत ख़्वाजा अलाओ उद्दीन अत्तार रहमतुह अल्लाह अलैहि से तकमील तालीम-ओ-तर्बीयत करते रहे। फिर हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने आप को बुख़ारा से जाने की इजाज़त दी और बवक़्त रुख़स्त फ़रमाया हम से जो कुछ तुम्हें मिला है उस को बंदगान ख़ुदा तक पहुँचाओ। फिर तीन बार फ़रमाया तरह बख़ुदा सप्रदेम (हम ने तुझे ख़ुदा के सपुर्द किया) और इशारतन हज़रत ख़्वाजा अलाओ उद्दीन अत्तार की पैरवी करने का हुक्म फ़रमाया।

जब आप बुख़ारा से चल करकुश पहुंचे जो इस्फ़िहान का एक क़स्बा है तो वहां आप को हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि के विसाल की इत्तिला मिली जिस से आप को बहुत सदमा हुआ। क्योंकि आप हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि की सोहबत से महरूम होगए थे लिहाज़ा दिल में ख़्याल आया कि दरवेशों कीकिसी गिरोह से जा मिलूं कि हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ज़ाहिर हुए और क़ुरआन मजीद की सूरत आल-ए-इमरान की आयत १४४ पढ़ी जिस का तर्जुमा ये है:

"(हज़रत) मुहम्मद सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम सिर्फ़ रसूल ही हैं इस से पहले बहुत से रसूल हो चुके किया अगर इन का इंतिक़ाल हो जाये या शहीद होजाएं तो इस्लाम से अपनी एड़ीयों केबल फिर जाओगे"

फिर एक हदीस पढ़ी जिस का तर्जुमा ये है:

"जै़द बिन हा रस्सओ ने फ़रमाया दीन एक ही है"

हज़रत याक़ूब चर्ख़ी रहमतुह अल्लाह अलैहि फ़रमाते हैं कि इस सीमीं समझ गया कि कहीं और जाने की इजाज़त नहीं है। इस केबाद आप कुश से बदख़शाँ चले गए जहां हज़रत ख़्वाजा अलाओ उद्दीन अत्तार रहमतुह अल्लाह अलैहि का चग़ानियां से ख़त मौसूल हुआ जिस में उन्हों ने इशारा मुताबित याद किराया। चुनांचे आप फ़ौरन चग़ानियां को रवाना हो गए और हज़रत ख़्वाजा अलाओ उद्दीन अत्तार रहमतुह अल्लाह अलैहि की सोहबत का शरफ़ हासिल किया। आप चंद बरस तक उन की सोहबत में रहे। हज़रत याक़ूब चर्ख़ी रहमतुह अल्लाह अलैहि फ़रमाते हैं कि हज़रत ख़्वाजा अलाओ उद्दीन अत्तार रहमतुह अल्लाह अलैहि की नज़र इलतिफ़ात उस फ़क़ीर के हाल पर सब से ज़्यादा थी। आप का शुमार ख़्वाजा अलाओ उद्दीन रहमतुह अल्लाह अलैहि के बेहतरीन खल़िफ़ा-ए-में होताहै।

आप की बहुत सी करामात हैं लेकिन बख़ोफ़ तवालत एक करामत दर्ज की जाती है। हज़रत ख़्वाजा उबीद अल्लाह अहरार रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने बैअत होने का वाक़िया बयान फ़रमाते हैं कहते हैं कि जब मैंने हिरात के एक सौदागर से हज़रत ख़्वाजा याक़ूब चर्ख़ी रहमतुह अल्लाह अलैहि के फ़ज़ाइल सुने तो उन से मिलने के लिए चर्ख़ जाने के लिए रवाना हुआ। जब में उन की ख़िदमत में हाज़िर हुआ तो वो बड़ी लुतफ़ वख़रम से पेश आए और हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि से अपनी मुलाक़ात का हाल बयान फ़र्मा कर अपना हाथ मेरी तरफ़ बढ़ाया कहा कि बैअत कर। क्योंकि उन की पेशानी मुबारक पर कुछ सफेदी मुशाबेह बरस थी जो तबीयत की नफ़रत का मूजिब होती है। इस लिए मेरी तबीयत इन का हाथ पकड़ने की तरफ़ माइल ना हुई। वो मेरी कराहत को समझ गए और जल्दी अपना हाथ हटा लिया और सूरत तबदील करके ऐसे ख़ूबसूरत और शानदार लिबास में ज़ाहिर हुए कि में बेइख़्तयार हो गया क़रीब था कि में बेखु़द हो कर आप से लिपट जाऊं आप ने दूसरी दफ़ा अपना दस्त मुबारक बढ़ाया और फ़रमाया कि हज़रत ख़्वाजा नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने मेरा हाथ पकड़ कर फ़रमाया था कि तेरा हाथ हमारा हाथ है जिस ने तुम्हारा हाथ पकड़ा इस ने हमारा हाथ पकड़ा। हज़रत ख़्वाजा बहा उद्दीन नक्शबंद रहमतुह अल्लाह अलैहि का हाथ पकड़ लो। मैंने बिलातवक़्कुफ़ उन का हाथ पकड़ लिया।

आप की बहुत सी तसनीफ़ात हैं जिन के नाम दर्ज जे़ल हैं।

आप ने सब से पहले ताजिक ज़बान में क़ुरआन शरीफ़ का तर्जुमा किया था।

तफ़सीर याक़ूब चर्ख़ी रहमतुह अल्लाह अलैहि , रिसाला नाईआ, रिसाला उंसीया, शरह रुबाई अब्बू सईदाबी अलख़ैर रहमतुह अल्लाह अलैहि , इबदा लिया, शरह इसमाइआलला, मख़तूतात, क़ुरआन शरीफ़ का ताजिक ज़बान में तर्जुमा, दसाला दुबारा अस्हाब वाला मात-ए-क़ियामत।

५ सिफ़र अलमज़फ़र ८५१ हिज्री में आप इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। अना लल्ला वाना अलैह राजावन। ताजिकस्तान के दार-उल-हकूमत दो शंबा के नज़दीक हलग़्नून, गुलिस्ताँ नामी गांव में आप का मर्क़द मुबारक मर्कज़ फ़्यूज़-ओ-है।